पर ते धारा असश्चतो दिवो न यन्ति वर्ष्टयः |
अछा वाजं सहस्रिणम ||
अभि परियाणि काव्या विश्वा चक्षाणो अर्षति |
हरिस्तुञ्जान आयुधा ||
स मर्म्र्जान आयुभिरिभो राजेव सुव्रतः |
शयेनो न वंसु षीदति ||
स नो विश्वा दिवो वसूतो पर्थिव्या अधि |
पुनान इन्दवाभर ||
http://www.vogaz.com
अछा वाजं सहस्रिणम ||
अभि परियाणि काव्या विश्वा चक्षाणो अर्षति |
हरिस्तुञ्जान आयुधा ||
स मर्म्र्जान आयुभिरिभो राजेव सुव्रतः |
शयेनो न वंसु षीदति ||
स नो विश्वा दिवो वसूतो पर्थिव्या अधि |
पुनान इन्दवाभर ||
http://www.vogaz.com
No comments:
Post a Comment